ईपीएफओ के बारे में

कर्मचारी भविष्य निधि की स्थापना दिनांक १५ नवम्बर १९५१ को कर्मचारी भविष्य निधि अध्यादेश के जारी होने के साथ हुई। इस अध्यादेश को कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम १९५२ द्वारा बदला गया। कर्मचारी भविष्य निधि बिल को संसद में वर्ष १९५२ के बिल संख्या १५ के रूप में लाया गया ताकि कारखानों तथा अन्य संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों के भविष्य निधि की स्थापना के प्रावधान हो सके। इसे अब कर्मचारी भविष्य निधि एवं प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम १९५२ के रूप में जाना जाता है। यह अधिनियम जम्मू एवं काश्मीर राज्य को छोड़कर पूरे भारत में लागू है।

इस अधिनियम तथा इसके अंतर्गत बनी योजनओं का प्रशासन एक त्रिपक्षीय बोर्ड केंद्रीय न्यासी बोर्ड जिसमे सरकार (केंद् तथा राज्य दोनो), नियोक्ता तथा कर्मचारियों के प्रतिनिधि शामिल हैं द्वारा किया जाता है।

केंद्रीय न्यासी बोर्ड संगठित छेत्र के कर्मचारियों के लिए एक अंशदायी भविष्य निधि योजना, एक पेंशन योजना तथा एक बीमा योजना का प्रशासन करता है। यह ग्राहकों की संख्या तथा वित्तीय लेन देन के आधार पर संसार की सबसे बड़ी संस्था है। बोर्ड की सहायता कर्मचारी भविष्य निधि संगठन जिसमे देश भर में १२२ विभिन्न स्थानों पर कार्यालय हैं, द्वारा की जाती है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन भारत सरकार के श्रम एवं नियोजन मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में हैं (क्लिक करें)। संगठन के पास इसके पदाधिकारियो तथा कर्मचारिओं के प्रशिक्षण एवं नियोक्ताओं और श्रमिकों के प्रतिनिधिओं के लिए सेमिनार करने के लिए एक सुस्सज्जित प्रशिक्षण संसथान भी है।

केंद्रीय न्यासी बोर्ड निम्नलिखित तीन योजनाएं चला रहा है:-

  1. कर्मचारी भविष्य निधि योजना १९५२
  2. कर्मचारी पेंशन योजना १९९५
  3. कर्मचारी जमा सहबद्ध बीमा योजना १९७६

कर्मचारी भविष्य निधि योजना १९५२
लाभ
  1. सेवानिवृत्ति, त्यागपत्र तथा मृत्यु की दशा में संचय राशी का ब्याज के साथ भुगतान।
  2. कुछ विशेष स्थितियों जैसे गृह निर्माण, विवाह, उच्च शिक्षा, बीमारी आदि के लिए आंशिक निकासी।
नामांकन
  1. संगठन के तीनों योजनाओं के लिए एक समेकित नामांकन पत्र प्रपत्र संख्या २ (संशोधित) है। भविष्य निधि के लिए नामांकन बीमा योजना के लिए भी लागू हैं।
  2. सदस्य जिनके परिवार हैं कर्मचारी भविष्य निधि योजना की धारा २ (ऍफ़ ) में परिभाषित परिवार के सदस्यों में से एक अथवा एक से अधिक सदस्योंको नामित कर साकते हैं।
  3. सदस्य जिनका कोई परिवार नहीं है किसी भी व्यक्ति को नामित कर सकते हैं परन्तु उनका परिवार होने की स्थिति में पूर्व का नामांकन अवैध हो जाएगा।
दावा प्रपत्र
  1. ससस्य द्वारा निधि के अंतिम निपटान के लिए : प्रपत्र १९
  2. पुराने खाते से नए खाते में अंतरण के लिए: प्रपत्र १३
  3. खाते से कुछ विशेष स्थितियों में आंशिक निकासी के लिए : प्रपत्र ३१
  4. जीवन बीमा निगम की वार्षिक क़िस्त के वित्त प्रबंधन के लिए: प्रपत्र १४
  5. मृत सदय के उत्तराधिकारी/लाभार्थी आठवा अवयस्क सदस्य के खाते के अंतिम निपटान के लिए: प्रपत्र २०
कर्मचारी पेंशन योजना १९९५
लाभ
  1. सेवानिवृत , विकलांग , उत्तरजीवी, विधवा, विधुर एवं बच्चों को मासिक लाभ।
  2. पेंशन की राशि औसत वेतन के आधार पर तथा कम से कम न्यूनतम पेंशन का भुगतान।
  3. सेवा के दौरान स्थायी अथवा पूर्ण विकलांगता के कारण नौकरी जाने पर मासिक पेंशन के भुगतान।
  4. कर्मचारी परिवार पेंशन योजना १९७१ के सदस्य होने की स्थिति में पूर्व सेवा से भी लाभ।
नामांकन
  1. सदस्य को उसके परिवार अर्थात पति/पत्नी तथा बच्चों के नाम देना आवश्यक।
  2. सदस्य का परिवार नहीं होने की स्थिति में एक व्यक्ति को नामांकित करने की सुविधा।
  3. लेकिन बाद में परिवार होने की स्थिति में ऐसा नामांकन ख़ारिज हो जायेगा।
दावा प्रपत्र
  1. मासिक पेंशन के दावे के लिए: प्रपत्र १० डी
  2. प्रत्याहरण लाभ तथा योजना प्रमाण पत्र के लिए: प्रपत्र १० सी
कर्मचारी जमा सहबद्ध बीमा योजना १९७६
लाभ
  1. सदस्य की सेवा में रहते हुए मृत्यु होने की स्थिति में उसके नामित, नामितों, परिवार अथवा उत्तराधिकारी, जैसा लागू हो को राशी का भुगतान।
  2. संशोधित योजना के अनुसार राशी का भुगतान विगत २० माह के वेतन के २० गुना अथवा जमा राशी के आधार पर, जो अधिक हो । दिनांक १ सितम्बर २०१४ से वेतन सीमा ६५०० से बढाकर १५००० कर दिए जाने से बीमा की राशी भी बढ़कर अधिकतम रुपये तीन लाख हो गयी है। साथ ही भुगतेय राशि का २० प्रतिशत अतिरिक्त मिलेगा।
नामांकन
  1. सदस्य द्वारा कर्मचारी भविष्य निधि योजना के लिया नामांकन कर्मचारी जमा सहबद्ध बीमा योजना के लिए भी मान्य होगा।
दावा प्रपत्र
  1. बीमा राशी के दावे के लिए नामित/नामितों/ लाभार्थी/उत्तराधिकारी जैसा लागू हो: प्रपत्र ५ (आई एफ)

यह अधिनियम १८७ श्रेणी के विभिन्न कारखानों तथा स्थापनाओं पर लागू है। यदि इन १८७ श्रेणीओं के किसी कारखाने अथवा स्थापना में १९ से अधिक कर्मचारी कार्यरत हों तो ऐसे कारखाने अथवा स्थापना पर यह अधिनियम लागू हो जाता है। अधिनियम लागू होने की स्थिति में नियोक्ता को कारखाने अथवा स्थापना के नियोक्ताओं की जानकारी प्रपत्र ५ (ए) में भरकर जमा करनी होगी तथा इस अधिनियम के उपबंधों के अनुसार नियमों के पालन करना होगा।